Unit 2 “प्रश्नावली”

प्रश्न 1: कोएलेंट्रेटा (Coelenterate) के सामान्य लक्षण क्या हैं?

उत्तर: फाइलम कोएलेंट्रेटा (जिसे निडेरिया भी कहा जाता है) समुद्री और कुछ मीठे पानी में रहने वाले जलीय जीवों का एक समूह है। इस फाइलम में जैलीफिश, हाइड्रा, कोरल और सी एनीमोन जैसे जीव शामिल हैं। ये सरल संरचना वाले बहुकोशिकीय जीव होते हैं। इनके कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. शरीर की संरचना: इनका शरीर रेडियल सिमेट्री (गोलाकार) में व्यवस्थित होता है, यानी शरीर को केंद्र से किसी भी दिशा में समान भागों में विभाजित किया जा सकता है।
  • इनका शरीर आमतौर पर दो परतों से बना होता है: एक्टोडर्म (बाहरी परत), एंडोडर्म (भीतरी परत) इनकी संरचना डिप्लोब्लास्टिक होती है, जिसमें दो परतें होती हैं, और इनके बीच मेसोग्लिया नामक जैली जैसी पदार्थ होती है।
  1. निडोसाइट्स या स्नेइडोसाइट्स: कोएलेंट्रेटा की विशेषता उनके शरीर पर पाए जाने वाले निडोसाइट्स नामक कोशिकाओं से होती है। इनमें निडोसिस्ट (स्टिंगिंग सेल) होते हैं, जो रक्षा और शिकार के लिए उपयोग होते हैं। ये कोशिकाएं शिकार को पकड़ने या खतरे से बचाव के लिए जहर या विषाक्त पदार्थ छोड़ती हैं।
  2. शरीर का रूप: इनके जीवन चक्र में दो मुख्य प्रकार के शरीर रूप पाए जाते हैं: पॉलीप: जो सीधा, बेलनाकार और आधार से जुड़े होते हैं। जैसे – हाइड्रा। मेडुसा: यह छत्राकार या घंटी के आकार का होता है और तैरता रहता है। जैसे – जैलीफिश। कुछ कोएलेंट्रेट्स एक ही रूप में रहते हैं जबकि कुछ में दोनों रूप पाए जाते हैं।
  3. गुहा (गैस्ट्रोवास्कुलर कैविटी): इनके शरीर में एक केंद्रीय गैस्ट्रोवास्कुलर कैविटी होती है जो पाचन और पोषक तत्वों के वितरण के लिए होती है। इनकी पाचन प्रणाली अधूरी होती है; केवल एक ही छिद्र होता है जो मुंह और मलद्वार दोनों का कार्य करता है।
  4. प्रजनन: कोएलेंट्रेट्स लैंगिक (यौन) और अलैंगिक (अयौन) दोनों प्रकार से प्रजनन कर सकते हैं। अलैंगिक प्रजनन: ये आमतौर पर बडिंग द्वारा होता है। लैंगिक प्रजनन: मेडुसा अवस्था में अधिकांश जीव लैंगिक प्रजनन करते हैं, जिनमें नर और मादा युग्मक बनाते हैं।
  5. तंत्रिका तंत्र: कोएलेंट्रेटा में एक सरल तंत्रिका तंत्र होता है, जो तंत्रिका जाल (nerve net) के रूप में होता है। इसमें मस्तिष्क या केंद्रीकृत तंत्रिका तंत्र का अभाव होता है।
  6. आवास और पारिस्थितिकी: अधिकांश कोएलेंट्रेट्स समुद्री होते हैं, जबकि कुछ मीठे पानी में भी पाए जाते हैं (जैसे हाइड्रा)। कोरल रीफ जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र इन्हीं से बनते हैं, जो जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करते हैं।
  7. प्रमुख उदाहरण: इस फाइलम के प्रमुख उदाहरण हैं: हाइड्रा, ऑरेलिया (जैलीफिश), एडम्सिया (सी एनीमोन), पेनाटुला (सी पेन), कोरल्स आदि।

प्रश्न 2 : कोरल रीफ (मूंगा भित्ति) का आर्थिक महत्व क्या है?

उत्तर: कोरल रीफ (मूंगा भित्ति) का आर्थिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह न केवल जैव विविधता को बनाए रखता है, बल्कि विभिन्न उद्योगों और स्थानीय समुदायों के लिए आय और आजीविका का स्रोत भी है। कोरल रीफ के आर्थिक महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:


1. पर्यटन और मनोरंजन:कोरल रीफ पर्यटन उद्योग का एक बड़ा आकर्षण हैं। दुनिया भर में लोग स्कूबा डाइविंग, स्नॉर्कलिंग, और रीफ के आस-पास की सुंदरता का आनंद लेने के लिए यात्रा करते हैं। जैसे स्थानों में – ग्रेट बैरियर रीफ (ऑस्ट्रेलिया), मालदीव, और कैरिबियन द्वीप – कोरल रीफ आधारित पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बहुत लाभ होता है।
2. मत्स्य पालन और भोजन: कोरल रीफ में अनेक प्रकार की मछलियाँ और अन्य समुद्री जीव रहते हैं, जो विश्व के मछली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
3. औषधि और जैव प्रौद्योगिकी: कोरल रीफ में पाए जाने वाले कई जीव औषधीय यौगिकों के स्रोत हैं, जो कैंसर, एचआईवी, बैक्टीरियल संक्रमण और अन्य बीमारियों के उपचार में सहायक हो सकते हैं।
4. तटीय सुरक्षा: कोरल रीफ तटों के लिए प्राकृतिक बाधा के रूप में कार्य करते हैं, जो तूफान, समुद्री लहरों, और कटाव से तटों की रक्षा करते हैं।
5. जैव विविधता का संरक्षण: कोरल रीफ को “समुद्र का वर्षावन” कहा जाता है क्योंकि यह विश्व की लगभग 25% समुद्री जैव विविधता को आश्रय देता है।
6. वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा: कोरल रीफ वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए अद्वितीय प्रयोगशाला हैं, जहाँ वे पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री जीव विज्ञान का अध्ययन कर सकते हैं।
7. स्थानीय आजीविका और आर्थिक लाभ: कोरल रीफ से स्थानीय समुदायों को सीप, मोती, और समुद्री शैवाल जैसी प्राकृतिक सामग्री भी प्राप्त होती है, जो सजावट, आभूषण और अन्य व्यवसायों के लिए उपयोग होती हैं। यह स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देती है और समुदाय के आर्थिक स्थिरता में योगदान करती है।

प्रश्न 3 : एनेलिडा (Annelida) के सामान्य लक्षण क्या हैं?

उत्तर: फाइलम एनेलिडा (Annelida) में केचुए, जोंक और नरम शरीर वाले अन्य खंडित जीव आते हैं। इन जीवों को सेगमेंटेड वर्म्स भी कहा जाता है क्योंकि इनके शरीर में अंगूठी या खंडों (सेगमेंट्स) की स्पष्ट रचना होती है। एनेलिडा के कुछ प्रमुख सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. शरीर की संरचना: एनेलिडा में शरीर लंबा, बेलनाकार और खंडों (सेगमेंट्स) में विभाजित होता है। खंडित शरीर की संरचना को मेटामेरिज़्म कहा जाता है, जहाँ प्रत्येक खंड शरीर के अन्य खंडों के समान होता है शरीर के प्रत्येक खंड में अंग और अंगतंत्र की पुनरावृत्ति होती है।
  2. तीन परतों वाली संरचना (ट्रिप्लोब्लास्टिक): एनेलिडा के शरीर में तीन भ्रूणीय परतें (एक्टोडर्म, मेसोडर्म, और एंडोडर्म) होती हैं, इसलिए इन्हें ट्रिप्लोब्लास्टिक जीव कहा जाता है। ये कोएलोमेट्स होते हैं, यानी इनके शरीर में कोएलम (शरीर गुहा) होती है जो अंगों को सुरक्षा और संचार में सहायक होती है।
  3. सममिति (सिमेट्री): एनेलिडा के शरीर की संरचना द्विपार्श्व सममिति (बिलेटरल सिमेट्री) होती है, यानी शरीर को एक सीधी रेखा से दो समान भागों में विभाजित किया जा सकता है।
  4. पाचन तंत्र: इनका पाचन तंत्र पूर्ण (कॉम्पलीट) होता है, जिसमें मुख (मुँह) और गुदा (एनस) दोनों होते हैं। पाचन तंत्र में भोजन ग्रहण से लेकर उत्सर्जन तक की पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित होती है।
  5. रक्त संचार तंत्र: एनेलिडा में एक बंद रक्त संचार तंत्र (क्लोज़्ड सर्कुलेटरी सिस्टम) होता है, जिसमें रक्त वाहिकाओं के अंदर ही संचारित होता है। अधिकांश एनेलिडा में लाल रंग का रक्त पाया जाता है, जिसमें हीमोग्लोबिन नामक पदार्थ होता है, जो ऑक्सीजन के संचार में सहायक होता है।
  6. श्वसन तंत्र: इन जीवों में श्वसन त्वचा (क्यूटिकलर) के माध्यम से होता है। पानी में रहने वाली कुछ प्रजातियों में गलफड़े (गिल्स) भी पाए जाते हैं। इनका श्वसन सतह के माध्यम से होता है, जो गैसों के आदान-प्रदान को संभव बनाता है।
  7. तंत्रिका तंत्र: एनेलिडा का तंत्रिका तंत्र सरल होता है जिसमें मस्तिष्कीय गैन्ग्लिया (सिर में तंत्रिका कोशिकाओं का एक समूह) और उदर (वेंट्रल) तंत्रिका रज्जु (नर्व कॉर्ड) होती है। प्रत्येक खंड में गैन्ग्लिया होती है, जो तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  8. प्रजनन: एनेलिडा में यौन और अयौन दोनों प्रकार के प्रजनन होते हैं। केचुए जैसे जीव उभयलिंगी होते हैं, यानी एक ही जीव में नर और मादा प्रजनन अंग होते हैं। कुछ प्रजातियाँ लैंगिक (यौन) प्रजनन द्वारा और कुछ अयौन (फ्रैग्मेंटेशन) द्वारा भी प्रजनन करती हैं।
  9. आवास और पर्यावरण: एनेलिडा जीव मुख्यतः जलीय (मीठे पानी और समुद्री) और स्थलीय (जमीन पर) वातावरण में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ जैसे कि जोंक परजीवी होती हैं और अन्य जीवों के रक्त से पोषण लेती हैं, जबकि अन्य प्रजातियाँ स्वतंत्र रूप से रहती हैं।
  10. उदाहरण: इस फाइलम के प्रमुख उदाहरणों में केचुआ (Earthworm), जोंक (Leech), नेरेस (Nereis) आदि शामिल हैं।

प्रश्न 4 : केचुए (Earthworms) के आर्थिक महत्व का वर्णन करें।

उत्तर: केचुए (Earthworms) का पारिस्थितिकीय महत्व बहुत अधिक होता है, क्योंकि वे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, जल संरक्षण में सुधार, और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में अहम भूमिका निभाते हैं। उनके ये कार्य मृदा पारिस्थितिकी और कृषि दोनों के लिए बेहद लाभकारी हैं। यहाँ केचुओं की पारिस्थितिक भूमिका के प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:


1. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना: केचुए जैविक पदार्थों को खाकर और उन्हें पचाकर विघटित करते हैं, जिससे ह्यूमस का निर्माण होता है। उनके मल (कास्ट्स) में मिट्टी के पोषक तत्व, जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम अधिक मात्रा में होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं।
2. मृदा संरचना में सुधार: केचुए मिट्टी में सुरंग बनाते हैं, जिससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है। उनके द्वारा बनाई गई सुरंगें मिट्टी में जल निकासी (ड्रैनेज) और वायुसंचार को बढ़ावा देती हैं, जिससे मिट्टी अधिक हवादार हो जाती है और पौधों की जड़ें बेहतर तरीके से विकसित होती हैं।
3. पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण: केचुए जैविक पदार्थों को विघटित कर मिट्टी में पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करते हैं। वे पत्तियाँ, घास, और अन्य जैविक पदार्थों को खाकर और उन्हें मल के रूप में छोड़कर पोषक तत्वों को मिट्टी में लौटाते हैं। यह पुनर्चक्रण पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे उनके विकास में सुधार होता है और खाद्य श्रृंखला को समर्थन मिलता है।
4. मृदा जैविकता में वृद्धि: केचुए मिट्टी में माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ावा देते हैं, जिससे सूक्ष्मजीवों का विकास होता है। ये सूक्ष्मजीव मिट्टी की सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे जैविक पदार्थों के विघटन और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में मदद करते हैं।
5. जल संरक्षण और जल निकासी में सुधार: केचुए द्वारा बनाई गई सुरंगें मिट्टी में जल का बेहतर तरीके से संचरण करने में सहायक होती हैं। उनके द्वारा बनायीं गई मिट्टी अधिक जलधारण क्षमता वाली होती है, जो सूखे के दौरान पौधों को जल उपलब्ध कराती है। यह जल निकासी व्यवस्था भी बाढ़ जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
6. मिट्टी के पीएच को संतुलित करना: केचुए जैविक पदार्थों को विघटित करके मिट्टी के पीएच स्तर को संतुलित करने में सहायक होते हैं। उनके मल में पाए जाने वाले पदार्थ मिट्टी के अम्लीयता और क्षारीयता को संतुलित करने में मदद करते हैं, जो पौधों की जड़ें बेहतर तरीके से पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकें।
7. बायोमास उत्पादन में सहायक: केचुए मिट्टी में जैविक पदार्थ की मात्रा बढ़ाकर बायोमास का निर्माण करते हैं। यह बायोमास मिट्टी को पोषण देने के साथ-साथ भूमि की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है।
8. खेतों में उर्वरक का प्राकृतिक विकल्प: केचुए द्वारा बनाई गई खाद (वर्मीकम्पोस्ट) एक प्राकृतिक उर्वरक के रूप में कार्य करती है, जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है। वर्मीकम्पोस्ट खेती के लिए सुरक्षित और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो न केवल फसलों के लिए फायदेमंद है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता को भी बनाए रखती है।

केचुए मिट्टी के लिए “प्रकृति के किसान” माने जाते हैं। वे मिट्टी की उर्वरता, संरचना, जलधारण क्षमता और जैविक गुणों में सुधार लाकर कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके द्वारा किया गया पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण और मृदा स्वास्थ्य का संवर्धन पारिस्थितिक संतुलन और मानव जीवन के लिए बहुत लाभकारी है।

प्रश्न 5 : गंडक (Leech) के आर्थिक महत्व का वर्णन करें।

उत्तर: गंडक (Leech) का आर्थिक महत्व विभिन्न क्षेत्रों में है, जिसमें चिकित्सा, शोध और कृषि शामिल हैं:

  1. चिकित्सा उपयोग: गंडक, विशेष रूप से Hirudo medicinalis प्रजाति, सदियों से चिकित्सा में उपयोग की जाती है। यह गंडक हेरुडिन का स्राव करती है, जो एक प्राकृतिक एंटीकोआगुलेंट है और रक्त के थक्के बनने से रोकती है। आधुनिक चिकित्सा में, गंडक का उपयोग सूक्ष्म सर्जरी और पुनर्निर्माण सर्जरी में रक्त प्रवाह में सुधार करने और क्षतिग्रस्त ऊतकों को बचाने में किया जाता है। इस चिकित्सीय उपयोग ने गंडक पालन उद्योग को समर्थन दिया है, जो अस्पतालों और शोध संस्थानों के लिए निरंतर आपूर्ति प्रदान करता है।
  2. फार्मास्युटिकल शोध: गंडक का हेरुडिन और अन्य एंजाइम दवा विकास के लिए उच्च रुचि रखते हैं। गंडक की लार में कई जैव सक्रिय यौगिक होते हैं जो चिकित्सीय अनुप्रयोगों की संभावना रखते हैं, जिससे सिंथेटिक संस्करणों के लिए अनुसंधान को बढ़ावा मिलता है।
  3. मछली पकड़ने के लिए चारा उद्योग: कुछ गंडक प्रजातियाँ ताजे पानी की मछली पकड़ने के लिए लोकप्रिय चारा के रूप में इस्तेमाल होती हैं। इससे गंडक के संचय और पालन के आसपास एक छोटा लेकिन लाभदायक उद्योग विकसित हुआ है।
  4. पारिस्थितिकी संकेतक: गंडक ताजे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र की स्वास्थ्य की निगरानी के लिए उपयोगी होते हैं। विशिष्ट गंडक प्रजातियों की उपस्थिति या अनुपस्थिति शोधकर्ताओं और पर्यावरणविदों को जल गुणवत्ता और जैव विविधता की निगरानी करने में मदद कर सकती है, जो संरक्षण प्रयासों और नीतियों पर प्रभाव डालती है।
  5. कृषि: पारंपरिक कृषि में, कुछ गंडक प्रजातियों का उपयोग धान की खेती में कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। वे स्वाभाविक रूप से जलीय कीट जनसंख्याओं का प्रबंधन करने में मदद करते हैं, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है।

गंडक का चिकित्सा और पारिस्थितिकी में योगदान उनके आर्थिक मूल्य और अनुसंधान रुचि को बढ़ावा देता है, विशेषकर जब नई संभावित अनुप्रयोगों की खोज की जाती है।